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Showing posts from August, 2019

Preyasi

मैं चाँदनी उस निखरे चाँद की, मैं साहिल उस अगाध समुन्दर की, मैं पढ़ाव उस बीहढ़ मंजिल की, मैं इनाम उस अद्भुत खोज की, मैं भंवर उस भयंकर बवंडर की, मैं गजल उस शौकीन शायर की, मैं समा उस जुनून भरी प्यार की, मैं प्याली उस नशीली शराब की, मैं पैमाना उस अनन्त आसमान की, मैं प्रेरणा उस कल्पनात्मक चित्रकार की, मैं खजाना उस उत्सुक अन्वेषी की, मैं साधना उस अपेक्षी तपस्वी की, मैं सब कुछ इस असीम जहान की, पर मैं बंधी तेरे दिल के कारागार की ।।